Monday 29 August 2016

सैकड़ों साल जीने वाले हालिया संत देवराहा बाबा

जब हम योगी सन्यासियों के चमत्कारों की बातें करते हैं तो सब बहुत पुरानी बातें होती है, और जैसे बात इतिहास की आती है तो मुल्ले या सेक्युलर तुरंत कह देते हैं कि इसका सबूत क्या है , लेकिन मैं ऐसे लोगों सहित उनलोगों को भी चैलेंज करता हूँ जो सिर्फ आज के विज्ञान को अपना सबकुछ मानते हैं। वो ही बताएं कि देवराहा बाबा की उम्र क्या थी ? बात इतिहास की भी नहीं है, इनके तो वीडियो तक उपलब्ध है, यूट्यूब पर। हाल की बात है। अगर उम्र 250 साल थी या 500 साल या 900 साल तो फिर कैसे ? डॉक्टर का साइंस क्या कहता है ? क्या इंसान इतने जिन्दा रह सकता है ? कोई एलोपैथिक दवाई खाकर ? या मशीन में रख कर ? फिर ये कैसे हुआ ? वो भी लगभग भूखे रह कर ?? आज के नास्तिक विज्ञानवादियों को जवाब देना चाहिए .... खाली कोरी गप्प नहीं मारनी चाहिए कि आज का विज्ञानये है वो है और पहले तो कुछ नहीं था.... अगर नहीं था वो भी इंसान को इतने साल तक जीवित रखकर दिखाएं।।

मंगलवार, 19 जून सन् 1990 को योगिनी एकादशी के दिन अपना प्राण त्यागने वाले इस बाबा के जन्म के बारे में संशय है. कहा जाता है कि वह करीब 900 साल तक जिन्दा थे. (बाबा के संपूर्ण जीवन के बारे में अलग-अलग मत है, कुछ लोग उनका जीवन 250 साल तो कुछ लोग 500 साल मानते हैं.)

श्रद्धालुओं के कथनानुसार बाबा अपने पास आने वाले प्रत्येक व्यक्ति से बड़े प्रेम से मिलते थे और सबको कुछ न कुछ प्रसाद अवश्य देते थे. प्रसाद देने के लिए बाबा अपना हाथ ऐसे ही मचान के खाली भाग में रखते थे और उनके हाथ में फल, मेवे या कुछ अन्य खाद्य पदार्थ आ जाते थे जबकि मचान पर ऐसी कोई भी वस्तु नहीं रहती थी. श्रद्धालुओं को कौतुहल होता था कि आखिर यह प्रसाद बाबा के हाथ में कहाँ से और कैसे आता है. जनश्रूति के मुताबिक, वह खेचरी मुद्रा की वजह से आवागमन से कहीं भी कभी भी चले जाते थे. उनके आस-पास उगने वाले बबूल के पेड़ों में कांटे नहीं होते थे. चारों तरफ सुंगध ही सुंगध होता था.

यमुना के किनारे वृन्दावन में वह 30 मिनट तक पानी में बिना सांस लिए रह सकते थे. उनको जानवरों की भाषा समझ में आती थी. खतरनाक जंगली जानवारों को वह पल भर में काबू कर लेते थे. योग विद्या पर उनका गहन ज्ञान था. ध्यान, योग, प्राणायाम, त्राटक समाधि आदि पर वह गूढ़ विवेचन करते थे. कई बड़े सिद्ध सम्मेलनों में उन्हें बुलाया जाता, तो वह संबंधित विषयों पर अपनी प्रतिभा से सबको चकित कर देते. लोग यही सोचते कि इस बाबा ने इतना सब कब और कैसे जान लिया. ध्यान, प्रणायाम, समाधि की पद्धतियों के वह सिद्ध थे ही. धर्माचार्य, पंडित, तत्वज्ञानी, वेदांती उनसे कई तरह के संवाद करते थे. उन्होंने जीवन में लंबी लंबी साधनाएं कीं. जन कल्याण के लिए वृक्षों-वनस्पतियों के संरक्षण, पर्यावरण एवं वन्य जीवन के प्रति उनका अनुराग जग जाहिर था.

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