Saturday 27 August 2016

कौन है सच्चा हिन्दू ? ?

एक दिन एक महाशय के जरिये बड़े हिंदूवादी से फोन पर जान पहचान हो गयी। बातें भी हुयी। अब एक दिन क्या हुआ कि उनका फोन भी आ गया, तो मैंने बात करनी शुरू कर दी, थोड़ी ही देर में बात आ गयी कि..
"उसको जानते हो.. फेसबुक पर भी बहुत फेमस है.."

मैंने कहा 'हाँ जानता हूँ"

"वो आता रहता है मेरे पास'

अच्छा है ये तो..

अच्छा ये बातें, इस किताब में हैं गांधी के बार में... इसे इस लेखक ने लिखा है, जानते हो.. पढ़े हो ..

नहीं.. नहीं पढ़ा...

अरे कैसे हिंदूवादी हो तुम...ये जो ऐसा लिखा है ना वो एक और किताब है इसको पढ़ा होगा तुमने.. पढ़ा है ?

नहीं .. नहीं पढ़ा है.. नहीं जानता..

अरे कैसे हिंदूवादी हो तुम...

बस ऐसे बात होती रही, वो कहते रहे और खुद को सबसे बड़ा हिंदूवादी साबित करके निकल गए। मैं भी सोचने लगा... क्या सचमुच हिंदूवादी ऐसे ही बनते हैं ? ? अब हाल में किसी ने कहा कि .... "यहां सब हिंदूवादी बनते हैं, गीता का एक श्लोक पूछुंगा तो नहीं बताएँगे..."।..... इसकी भी बात सही थी लेकिन क्या गीता रामायण  वेदों को पढ़ने वाला ही हिन्दू होगा ? ?

क्या सारे मुस्लिम कुरआन के आयतों को जानते हैं ? अपने पूरे इतिहास को जानते हैं ? ? अगर कोई पढ़ना नहीं जानता हो , तब क्या होगा ? अगर कोई गूंगा बहरा होगा तब वो किसे पढ़ेगा ? उसे हिन्दू धर्म से निकाल दें ? ? ज्यादातर लाखों मजदुर टाइप वाले लोग तो देखे भी नहीं होंगे ये किताब तो हिन्दू धर्म से बाहर ? ?

ये आजकल पढ़े लिखे , विद्वान टाइप वाले हिंदुओं का बड़ा नाटक चल रहा है, इनके अंदर अहम है, घमंड है, ये ऐसा बोलते हैं क्योंकि ये खुद का स्थान ऊपर करना चाहते हैं। ये नेता या गुरु वाली पदवी पा लेना चाहते है पर अभिमान वालों को ये कहाँ नसीब हुआ है ?

मेरे भाई , रामसेवको ने गोली खाई, प्राण त्याग दिए, लाखों लाख लोग अयोध्या में प्राणों का त्याग करने पहुंचे थे वो सिर्फ एक नाम "श्रीराम" पढ़े थे... और मैं बताऊँ वो बड़े बड़े आजके हिंदूवादियों से ऊपर स्थान रखते हैं, लाखों में एक दो या दस होंगे जिन्होंने धार्मिक ग्रंथों को पढ़ा होगा।। आपको गाडी चलानी आती है पर ड्राइविंग लाइसेंस नहीं है तो इसका मतलब ये नहीं कि आप चालक ही नहीं है। हिन्दू कर्मों से बनना होता है, हिन्दू बनने के लिए कुछ रास्ते इस समाज में कानून की तरह हैं, उसपर चलना ही हिन्दू होना है। हिन्दू धर्म के गुण होने चाहिए और वो हिन्दू समाज से लोगों को स्वतः मिल जाता है अगर कोई उसे तोड़ दे तब वो हिन्दू नहीं है। जैसे कि ... हरेक हिन्दू वैदिक रीति रिवाजों से ही विवाह करता है, किसी के मरने पर उसका दाह संस्कार करता है... ये सब हिन्दू होने की वजह से ही होता है, वो हिन्दू ही है, लेकिन अगर कोई खूब वेदों को पढ़ा है और कहे कि मैं तो विवाह मौलवी बुलाकर करूँगा या दाह संस्कार की जगह दफ़न होऊंगा कब्रिस्तान में तो वो हिन्दू होगा क्या ? ?  ये पढ़ने से नहीं बल्कि हिन्दू धर्म के नियमों को जीने से होता है।। मैंने नहीं पढ़ा कुछ भी, कुछ नहीं जानता, एक श्लोक भी नहीं जानता पर मुझे हिन्दू धर्म में जीने के नियम क्या है ये पता है, कैसे रहना है, खाना पीना है, जानता हूँ और उसी अनुसार करता हूँ, वैसे ही कर्म करता हूँ, मुझे ये भी पता है करोडो हिन्दू ऐसे ही हैं, ऐसे ही चलता है, इससे ज्यादा कोई सोचे कि सब वेदों के ज्ञाता हो जाए तो फिर उनकी मूर्खता है। फिर तो आप खोजते रहो और कोसते रहो, लेकिन जो नियमो को जीवन में उतार कर जी रहे हैं वही सनातन याने हिन्दू धर्म को बचाते है, वही गोली खाते हैं सीने पर, ये सबसे बड़ा सच है, असली रक्षक यही हैं।।

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