बाब गोरखनाथ को भारत में एक महान योगी का दर्जा प्राप्त है। बाबा गोरखनाथ का मानना था कि सिद्धियों के पार जाकर शून्य समाधि में स्थित होना ही योगी का परम लक्ष्य होना चाहिए, परंतु उनकी सिद्धियां प्राप्त करना बहुत ही कठिन कार्य है। बाबा गोरखनाथ ने कई कठिन (आड़े-तिरछे) आसनों का आविष्कार किया, जिसमें सिद्ध हो जाने के बाद व्यक्ति ब्रह्मलीन हो जाता है। जहां उसे परम शक्ति का अनुभव होता है। जनश्रुति अनुसार उन्होंने कई कठिन (आड़े-तिरछे) आसनों का आविष्कार भी किया। उनके अजूबे आसनों को देख लोग अचम्भित हो जाते थे। आगे चलकर कई कहावतें प्रचलन में आईं। जब भी कोई उल्टे-सीधे कार्य करता है तो कहा जाता है कि 'यह क्या गोरखधंधा लगा रखा है।'
एक बार बाबा गोरखनाथ भिक्षाटन करते हुए गोरखपुर के समीप ज्वाला मंदिर पहुंचे। उस दिन मकर संक्रांति का त्योहार था। एक सिद्ध योगी को देख कर ज्वाला मां प्रसन्न हुईं और उन्होंने बाबा को भोजन के लिए आमंत्रित किया। गोरखनाथ बाबा ने आग्रह स्वीकार कर लिया और ज्वाला मां से अनुरोध किया कि आप पानी गर्म करें तब तक मैं भिक्षाटन करके चावल और दाल का प्रबंध करता हूं। उसी दिन के बाद से मकर संक्रांति के दिन खिचड़ी बनाने की परंपरा शुरु हुई।
जिस स्थान पर आज गोरखपुर है, पहले वहां घने जंगल थे। यहां चोर लूटेरे और डकैतों का वास था। बाबा गोरखनाथ ने इसी पुण्यभूमि को अपनी तपस्या और साधना के लिए चुना, जो बाद में गोरखपुर कहलाया। उनकी आध्यात्मिक उपस्थिति का अनुभव करने के लिए उनके द्वारा स्थापित आश्रम आज भी गोरखपुर में है। इस आश्रम का समय काल के साथ विस्तार होता रहा। उनके अनुयायियों ने बाद में बड़ा मन्दिर, मठ, तालाब, बाग-बगीचा आदि बना कर उनकी तपो-भूमि का आध्यात्मिक आनंद लेने के लिए विकसित किया, जो गोरखपुर में गोरखनाथ मंदिर के नाम से जाना जाता है।
बाबा गोरखनाथ ने नेपाल और पाकिस्तान में भी योग साधना की थी। बाबा गोरखनाथ के नाम से ही नेपाल के लोगों को गोरखा कहा जाने लगा था। गोरखा नाम से नेपाल में एक जिला भी है।
वैसे इसी उत्तरप्रदेश में गोरखनाथ मठ के महन्त गुरु गोरखनाथ के प्रतिनिधि माने जाते हैं और इस वक़्त यहाँन के महंत योगी आदित्यनाथ जी है। ::जय गुरु गोरखनाथ::
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