Monday 29 August 2016

क्या आप भी गंडे ताबीज पहनते हैं ?

बहुत सारे भाई-बहन सबेरे या शाम या सप्ताह में कम से कम एक बार हनुमान चालीसा का पाठ किया करते हैं और कहते हैं “काँधे मूँज जनेऊ साजे” |  जिसका अर्थ होता है कि चार वेदों के विद्वान हनुमान जी अपने शरीर पर जनेऊ पहनते थे और उनका शरीर जनेऊ से सुशोभित लगता था | पर हनुमान चालीसा का पाठ करने वाला भक्त स्वयं जनेऊ नहीं पहनता | अगर वह पहनता है तो फिर मुस्लिमों का दिया हुआ ताबीज ही पहनता है |

हमारे कुछ हिंदू भाई भी नक़ल करने में बहुत माहिर हैं, ताबीज का हिंदू संस्करण भी निकाल लिया गया है | आपने सुना होगा “हनुमान सिद्ध मंत्र अभिषिक्त लॉकेट” आदि आदि | ये सब क्या है ? ये सब के सब ताबीज के ही तो रूपांतरण हैं | यदि हनुमान लॉकेट पहनने से हमारे दुःख दूर होंगे तो फिर हनुमान जी अपने दुःख दूर करने के लिए क्या पहनते थे ? क्या हनुमान जी भी कोई मन्त्र अभिषिक्त यन्त्र या लॉकेट पहना करते थे ? नहीं | हनुमान जी स्वयं चारों वेदों के पण्डित थे और सारे के सारे मंत्र उनको याद थे तो फिर वे कौन सा लॉकेट पहनते ??

अब आप तावीज को खोल कर देखें तो पायेंगे कि उसके अन्दर अरबी भाषा में कुछ लिख कर डाला हुआ है जिसको आप पढ़ नहीं सकते ... जिसको आप पढ़ भी नहीं सकते वो आपके लिए कैसे हुआ ?? तावीज पहनना ही है तो ऊसके अन्दर गायत्री मन्त्र लिख कर डालें या सबसे अच्छा यही है कि इस मुस्लिम पहचान को हटा ही डालें और मंत्रो को धीरे धीरे अर्थ सहित याद करने की कोशिश करें ..  या फिर जनेउ पहने या फिर कुछ भी नहीं ... (29 अगस्त2014 की पोस्ट)

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