वृंदावन में करीब 54 एकड़ परिसर में साध्वी ऋतंभरा का 'वात्सल्य ग्राम' आश्रम है।
आश्रम के विशाल दरवाजे के बाईं ओर एक पालना है, जहां कोई भी व्यक्ति, किसी भी समय अनचहा या अनाथ शिशु को रखकर जा सकता है। पालने में बच्चा छोड़कर जाने वाले व्यक्ति को आश्रम से संबंधित सदस्य किसी भी प्रकार का प्रश्न नहीं पूछता। पालने में कोई बच्चा रखते ही पालने पर लगा सेंसर आश्रम के व्यवस्थापन को इसकी सूचना देता है और आश्रम का कोई अधिकारी आकर उस बच्चे को आश्रम ले आता है। आश्रम में प्रवेश होते ही वह बच्चा वात्सल्य ग्राम परिवार का सदस्य हो जाता है। अब वह वह अनाथ नहीं कहलाता, उसे आश्रम में ही माँ, मौसी, दादा-दादी; सब रिश्तेदार मिल जाते हैं !
इसके बाद सीबीएसई की पढ़ाई ....प्राकृतिक चिकत्सा ....योग.. मिलिट्री ट्रेनिंग सब देते हुए उसकी शादी तक करवाई जाती है ..
ये है हिंदुत्व का एक दर्शन .. सनातन धर्मियों का भाव ... हिन्दुस्तान में ऐसे सेवा भाव से किये गए कार्यों में सिर्फ सनातन याने हिन्दुधर्मी लोग ही मिलेंगे...
आश्रम के विशाल दरवाजे के बाईं ओर एक पालना है, जहां कोई भी व्यक्ति, किसी भी समय अनचहा या अनाथ शिशु को रखकर जा सकता है। पालने में बच्चा छोड़कर जाने वाले व्यक्ति को आश्रम से संबंधित सदस्य किसी भी प्रकार का प्रश्न नहीं पूछता। पालने में कोई बच्चा रखते ही पालने पर लगा सेंसर आश्रम के व्यवस्थापन को इसकी सूचना देता है और आश्रम का कोई अधिकारी आकर उस बच्चे को आश्रम ले आता है। आश्रम में प्रवेश होते ही वह बच्चा वात्सल्य ग्राम परिवार का सदस्य हो जाता है। अब वह वह अनाथ नहीं कहलाता, उसे आश्रम में ही माँ, मौसी, दादा-दादी; सब रिश्तेदार मिल जाते हैं !
इसके बाद सीबीएसई की पढ़ाई ....प्राकृतिक चिकत्सा ....योग.. मिलिट्री ट्रेनिंग सब देते हुए उसकी शादी तक करवाई जाती है ..
ये है हिंदुत्व का एक दर्शन .. सनातन धर्मियों का भाव ... हिन्दुस्तान में ऐसे सेवा भाव से किये गए कार्यों में सिर्फ सनातन याने हिन्दुधर्मी लोग ही मिलेंगे...
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