Saturday 13 August 2016

मैं मौलाना से पंडित कैसे बना ।।

मैं बचपन से सोचता था,कि कुरान के अतिरिक्त और कोई धर्म पुस्तक नही, और इस्लाम को छोड़ कर दूसरा कोई धर्म ही नही है | क्यों कि बचपन से यही शिक्षा मुझे बिरासत में मिली थी |
परन्तु 32 वर्ष आयु के बाद,जब मैं एक पुस्तक सत्यार्थ प्रकाश, को देखा, जिस में वैदिक मान्यता वैदिक सिद्धांत,और वैदिक ऋषि परम्परा को पढ़ कर देखा, तो मेरी ऑंखें खुलीकी खुली रह गई | कारण मैं अब तक यही जानता था,कि कुरान ही एक मात्र किताब है धरती पर जो आसमानी है,और अल्लाह का दिया हुवा मानव मात्र के लिए उपदेश है |अथवा यही ईश्वरीय एक मात्र ज्ञान है,जो आस मानी है, उपर से उतरा हुवा,कुरानपर सवाल करना,अथवा सन्देह संभव नही है।
अब वैदिक मान्यता, ईश्वर और ईश्वरीय ज्ञान क्या है किसे ईश्वरीय ज्ञान कहा जाना चाहिए उसकी मान्यता क्या है कसौटी क्या है, इन सभी विषयों को जब भली भांति सत्यार्थ प्रकाश व ऋग्वेदादी भाष्य्भुमिका ऋषि दयानन्द रचित पढने लगे, और उसके गहराई में जब दुबे तो मेरे मनमें एक के बाद एक जिज्ञासा होती गई और उसका जवाब भी उन्ही वैदिक मान्यता से हमें मिलती ही चली गई आगे क्या है, और क्या है,इस लालसा में डुबकी लगाते ही रहे |
 आज 33 वर्षीं से अनेक कुरान वेत्ताओं से शैखुल हदीस {हदीसों के माहिर }और मुफ़स्सिरे कुरान {कुरान के भाष्यकार} इस्लाम जगत के अनेक आलिमों से मिले और बहुतों से पत्राचार किया, किन्तु आज तक मेरे जिज्ञासा मन को शांत नही कर सके और ना आज तक कोई सन्तोष प्रद उत्तर ही दे पाए।
पिछले दिनों 85 से 90 तक मैं कोलकाता में बंगाल आर्य प्रतिनिधि सभामें,सार्व देशिक सभा द्वारा नियुक्त था | अनेक समय से मैं बंगाल से बाहर दिल्ली में  रहा जब 85 में कोलकाता में रह कर वैदिक धर्म का प्रचार कार्य में लगे रहे, 42 शंकर घोष लेंन कोलकाता, 6= बंगाल सभा की बिल्डिंग में रहता था | प्रचार कार्य के लिए एक दिन मैं बड़ाबाजार आर्य समाज में जाने लगा, मुझे रास्तेमें एक पुराने सहपाठी मिले, उसने मुझे धोती पहने देख कर कोसने लगा।
उसने कहा .....तू एक मौलवी का बेटा,और खुद भी अलिम हो कर यह काफिराना लिबास में तू घूम रहा है ? क्या तुझे यह मालूम नही कि {मन तश्ब्बाहा बेकौमिन} का फतवा लगेगा तेरे उपर? अर्थात जो मुसलमान जिस कौम के लिबास {परिधान} में,दुनिया में रहेगा, अल्लाह तायला हश्र के दिन,उसी कौमके साथ उसे उठाएंगे |
मैंने कहा बिलकुल ठीक बात है, पर मैं तुझसे पूछता हूँ कि यह धोती काफिराना लिबास है और यह पैन्ट,शर्ट,कोर्ट,टाई, आदि,यह लिबास किन लोगोंका है भाई? क्या आज तक तूने अपने किसी भाई को अथवा अपने कौमके लोगों को बताया है, की भाई यह ईसाइयत वाला लिबास आप लोग किसलिए पहनते है ?
भारत में रहकर भारतीय परिधान को क्यों नही पहनते,भारत में रहकर इंग्लॅण्ड, व.लंडन वाला लिबास पहना जा सकता है, अरबियन लिबास पहना जा सकताहै, पाकिस्तानी शलवार शूट पह्नाजा जकता है | किन्तु भारत में रहकर भारतीय परिधान पहनना काफिराना लिबास कह कर क्या तू भारत का अपमान नही कर रहा है ?  

उसने कहा,भारत में तो मना नही है, इन परिधान में,मैंने कहा मेरे भाई जरा ठन्डे दिमाग से सोच | कि अगर मक्का में मदीना,में कोई धोती पहन कर जाता है तो उसे, वहां रोका जायगा कि नही ? पहली बात तो कोई भी गैर मुसलिम को मक्का या मदीना में जाने ही नही दिया जायगा,वहां कपड़े की बात ही क्या है काफिरों को वहां जाने नहीं दिया जायगा | तू कपड़े की बात क्या कर रहा हैं | अब वहां एक काफिराना लिबास में कोर्ट, पैन्ट, टाई वाला जा सकता है,किन्तु एक धोती वाला इनसान को जाने नही दिया जायगा | उसनेकहा यह बात तो है, मैंने कहा, भारत में तू अरबियन लिबास में रहता है अथवा इंगलैंड वाला लिबास में रहता है, आज तक तुझे किसीने कहा या पूछा कि यह लिबास कौन लोगों का है ?
मैंने कहा इससे अंदाजा लगा की तुम इस्लाम वालों को भारतीय लिबास{परिधान} ही पसन्द नही तो भारतीय लोगों को पसन्द करना कैसे संभव होगा ? कितनी संकीर्णता है, तुम इस्लाम वालों में, और इन भारत जैसे काफ़िर मुल्कवालों को भी तुम सहन नही करते | भारत के लोग कितने उदार हैं, यहाँ के लोगों में नफरत ही नही है पर तुम इस्लाम वाले इसी देश में रह कर  भी इस देश के परिधान को अपनाने को तैयार नही हो |
छोड़ उस अरब को यही भारत में ही बता की धोती पहनकर कोई मस्जिद में जाना चाहता है क्या तो उसे मस्जिद में घुसने देगा अथवा बाहर से उसका लाँग उतरवाएगा ? यानी कोई भी धोती वाला लाँग उतारे बिना मस्जिद में घुस नही सकता | बता यह कौनसी मानसिकता की बात है ? फिर तुमलोग भाईचारे की बात करते हो ? तुम लोगों को शर्म होना चाहिए, की इन भारतियों से किस प्रकार की नफरत तुम्हें सिखाया इस्लाम ने ? फिर भी तुम कहते हो इस्लाम का अर्थ शांति है, भाईचारा है ? अरे मानव को मानवों से नफरत करना तो इस्लाम ही सिखाया है मुसलमानों को मुसलमान छोड़ काफिरों से,यहूदी,नासरा  से दोस्ती तक रखने को मना किया है अल्लाह ने देखो अपना कुरान | 
सूरा- इमरान -28= सूरा- निसा =144 = सूरा मायदा =51+57 =और भी है | मेरी पुस्तक वेद और कुरान की समीक्षा से उठा कर दिया हूँ | इसे सही ढंग से पड़ें और विचार करें, दुनिया में नफरत कों फैलाया है ?
  महेन्द्रपाल आर्य =वैदिक प्रवक्ता, पूर्व मौलाना।

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