Saturday 13 August 2016

क्या कश्मीर में आर या पार वाली स्थिति है?



कश्मीर में अब शांति आने वाली नहीं है। वहाँ आजादी की जंग छिड़ी है। आजादी भारत से, आजादी हिंदुओं के शासन से। इसकी वजह मोदीजी भी हैं क्योंकि उनकी नीति कांग्रेस वाली नहीं है। हमें सोचना चाहिए कि भाई ये मुसालमान पाकिस्तान से कश्मीर को मिलाये जाने के पक्ष में क्यों है.... जबकि पाकिस्तान में ज्यादा गरीबी, बेरोजगारी और रोज फटते हुए बम हैं ? ? आखिर सोचिये तो सही कि ऐसा कौन सा जुल्म भारत ने इनके ऊपर किया है .... उल्टा इन्होंने ही लाखों हिंदुओं को मारा काटा रेप किया और विस्थापित किया ?

मुसलमानों का कहना है कि ये उनके मजहब की बेइज्जती है कि उनके ऊपर शासन करने वाला कोई हिन्दू हो, चाहे वो मनमोहन हो या मोदी। इस्लाम में ये डूब मरने वाली बात या पाप होता है कि मुस्लमान किसी काफ़िर के देश में रहे। आखिर पाकिस्तान को जिन्ना ने यह साफ़ कहके माँगा था कि मुसलमान हिंदुओं के साथ नहीं रह सकते। उन्होंने देश का नाम ही "पाक" याने पाकिस्तान रखा कि अब जा के हम पाक हुए याने शुद्ध मुसलमान बने। यही पाक मुसलमान बनने के लिए कश्मीर में सभी एड़ी चोटी का जोर लगा रहे हैं।

ये सब मुमकिन था भी.... लेकिन मोदी जी के आने के बाद नामुकिन होता जा रहा है, अलगाववादी नेताओं को ये दिख गया कि इतने सालों से कश्मीर में बिछाए गए नेटवर्क और बनाये गए ताकत का इश्तेमाल नहीं किया तो ये मोदी अंदर ही अंदर सारे नेटवर्क को मिटा देगा और ताकत को इतना कम कर देगा कि एक जुलुस निकालना भी संभव नहीं हो पायेगा, क्योंकि मोदीजी कुछ काम अंदर ही अंदर करते रहते हैं बिना हल्ला किये, इसकी वजह है विपक्षी पार्टियों की अलगाववादियों से सहानुभूति और मीडिया का हाहाकार।


लेकिन इस वक़्त कश्मीर का जो माहौल है वो आर या पार वाला बन चूका है, महीने भर से ऊपर हो चुके हैं, कई थाने जला दिए गए हैं, मिलिट्री कैम्पो पर लगातार अटैक हो रहे हैं, कितने ही थाने पुलिस-विहीन हो चुकी है, सेना अपना आक्रमक रुख खत्म कर चुकी है क्योंकि ये कोर्ट और विपक्षी दलों की मांग है, नतीजा पुरे कश्मीर में अब आतंकियों का कब्ज़ा है, 15 अगस्त के दिन पाकिस्तान दिवस मनाने की जबरदस्त तैयारी चल रही है, पाकिस्तानी झंडे बनाये जा रहे हैं, झंडे लहराने वाले स्थलों का निर्माण पुरे कश्मीर के हरेक मोहल्ले में चालू है.... अब आगे मोदीजी के पास क्या विकल्प है , ये मुझे भी नहीं पता क्योंकि वो भी मीडिया और विपक्षी पार्टियों के जबर्दस्त दवाब में हैं।

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