Tuesday 30 August 2016

बिहार में सारे छोटे बड़े क्रिमिनल को मिला नया रोजगार

बिहार में जितने भी चोर उचक्के, अपहरणकर्ता, गुंडे, पॉकेटमार, रेपिस्ट, लोफर, लफंगे आदि थे, मैंने ये जाना कि सबके सब एक ही काम में लगे हैं और वो है सही जमीन को गलत साबित करके लाखों रुपये का मुनाफा कमाना। इसमें सरकारी स्तर से नीतीश बाबू ने शायद जानबूझकर खुली छूट दी है ताकि कम से कम ये लोग उधर उलझे रहे और अपने वास्तविक काम पर ना लौटें।

इसमें कैटेगरी बंटी हुयी है, मंत्री, सांसद, विधायक करोड़ों की जमीन पर कब्ज़ा करेंगे......... नामी डॉन, गुंडा, सीरियल किलर आदि लाखों की जमीन पर कब्ज़ा करेंगे और छोटे छोटे चोर, लुटेरे, मवाली, लफंगे ..... ये सब काम में मदद करके हज़ारो या लाखों का कमीशन खाएंगे।। ये लोग "जमीन के एजेंट" का टैग लगा लेते हैं।

अब इसमें पूरी व्यवस्था क्या है ? ? सबसे पहले छोटे स्तर वाले लफंगे चोर आदि शहर में घूमते हैं, कौन जमीन ले रहा है, कौन लेना चाहता है, कौन बेचना चाहता है आदि पता करके ऊपर वाले क्रिमिनल याने बड़े दबंगों को बता देता है।

इसके बाद वो लोग उस जमीन में या कागज़ में अड़ंगा लगा देते है, इसके कई तरीके है, जैसे जमीन पर जाकर किसी आसपास के लोग को पैसे देकर दावा ठोंकवा देना कि ये जमीन तो मेरी है, या कार्यालय में कागज से उसका नाम हटवा देना।। या गुंडों को सीधा जमीन पर उतार देना।

इसके बाद छोटे स्तर का या आम आदमी या पीड़ित आदमी जाता है, विधायक या सांसद के पास।। मदद के लिए। और कहाँ जायेगा ? ? ये मंत्री सांसद नाटक करते हैं कि अभी पता करता हूँ, लेकिन वास्तव में वो सारे कार्य यहीं से संचालित हो रहे होते हैं, अब ये थोड़ा समय लेगा, अच्छा अभिनय करेगा, और पीड़ित को कहेगा,

"ऐसा है कि जमीन तो आपके हाथ से निकल गयी है, कोर्ट में जाके फायदा नहीं , अगले जन्म तक फैसला नहीं आएगा, मैंने उनलोगों से बात की है, समझौता करने को तैयार है"

अब समझौता में 1 करोड़ की जमीन सीधे 5 या 10 लाख में बिकती है या पीड़ित ही सीधा नकद कैश लाखों रुपये छुटकारा पाने हेतु देता है, या कुछ लाख में जमीन उसी मंत्री विधायक के हाथों में देकर रोते हुए निकल जाता है। इसके बाद पूरी योजना में लगे छोटे से बड़े तक को लाखों रुपये उसके हैसियत के हिसाब से मिल जाता है।

इस कार्य को नीतीश कुमार ने पूरा समर्थन दिया हुआ है।। इस बार तो मैंने कई ऐसे लोगों को इस धंधे में पिला हुआ देखा जिसके पास साइकिल का पंचर बनाने के भी पैसे नहीं होते थे और अच्छी आमदनी कर रहे हैं ये लोग। नीतीश के इस ऑफर को सभी ने हाथों हाथ लपक लिया है, बस मर रहे हैं आम आदमी।।
:::एक भुक्तभोगी:::

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