Friday 5 August 2016

केजरीवाल का ध्यान शिविर में भी नाटक।

केजरीवाल का ध्यान शिविर :-

गुरूजी - क्या हुआ पुत्र , तुम आँख बंद करके छटपटा क्यों रहे हो ? चेहरे पर परेशानी क्यों ?

केजरी : गुरूजी ध्यान नहीं लग रहा... मैं इधर आ गया, उधर जीएसटी बिल पास हो गया, मुझे भी इस पर निंदा करनी थी, मैं पीछे रह गया...

गुरूजी : पुत्र , जाकर कर देना, ध्यान लगाओ, साँसों पर ध्यान....

केजरीवाल : अरे पर उधर L G की भी जीत हो गयी, कोर्ट में तो हम किसी मामले पर जीत नहीं रहे, अदालत के फैसले की निंदा करनी थी....

गुरूजी : अभी तुम ये सब राजनीती की बातें निकाल कर लंबी लंबी गहरी सांसें लो....

केजरीवाल : राजनाथ जी जा रहे थे तब भी ताने नहीं मार सका और लौट के आये हैं तब भी कुछ तो नेगेटिव बोलना था, देखिये उधर नितीश ने मजाक उड़ाया , मैं  पीछे रह गया...

गुरूजी : पुत्र, यही नेगेटिविटी तो निकालनी है, ध्यान से संभव हो जायेगा,

केजरीवाल : अरे क्या ध्यान ध्यान ध्यान.... ध्यान गया तेल लेने,  कैसे लगेगा ध्यान ? कालू, संजू,  सिसोदु, सब कहीं लुटिया ना डुबो दें... अगली बार मुझे pm बनना है, दिल्ली के बाद पूरे देश को मुर्ख बनाऊंगा.... यहाँ तो मैं सिर्फ टाइमपास करने आया हूँ, उधर भी वही कर रहा था पर पकड़ में आ जाता था।

गुरूजी : तो कुपुत्र, तू यहाँ क्यों आया था ?

केजरीवाल : सच बताऊँ गुरूजी, जिस तरह से मेरी पार्टी के लोग गिरफ्तार हो रहे थे तो मुझे डरावने सपने आने लगे थे, ऐसा लगता था कि अगली बार कहीं मैं ना गिरफ्तार हो जाऊं।। पत्नी ने कहा... कुछ दिन आप कहीं घूम कर आइये, दिमाग ठीक हो जायेगा, इसलिए....

(फिर केजरीवाल ने आँखें बंद कर ली, पर एक आँख खुली थी)

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