Saturday 13 August 2016

इस्लाम में हिंदुओं से बलात्कार एक पवित्र कार्य

इस्लाम में बलात्कार जायज है .. क्या अब भी गैर इस्लामी लोगों (हिन्दू, इसाई, बौद्ध, पारसी आदि ) को खतरे का अंदाजा नहीं लगाना चाहिए कि वो दुनिया में कैसे लोगों के बीच रहने के लिए अभिशप्त है.......? लेकिन बलात्कार जायज क्यूँ है ?

मैं ऐसा मानता हूँ कि मुहम्मद हिन्दुओं के धर्म को बहुत अच्छी तरह से जानते थे इसलिए उस आदमी ने इस्लाम में जितने भी नियम कानून बनाए वो सब हिन्दू धर्म के उल्टा बनाए... जैसे ....

हमारे धर्म में महिलाओं को आजादी है .....तो इस्लाम में महिलाओं से हर तरह की आजादी छीन ली गयी ....

हमारे धर्म में एक शादी ही मान्य है ..तो इस्लाम में चार शादी जायज की गयी ...
हमारे धर्म में जिस महीने शादी के मुहूर्त नहीं होता तो इस्लाम में उसी महीने में शादी के मुहूर्त खोजे जाते हैं और किये भी जाते हैं ...

हम बच्चियों को जवान होने के पहले बेटी की नजरों से देखते हैं तो इस्लाम में ७ साल के बाद बच्चियों से शादी जायज कर दी गयी... अभी तो अफगानिस्तान में कानून ही बन गया

हमारे धर्म के लोग योग प्राणायाम करते हैं तो इस्लाम में फायदेमंद होते हुए भी इसे नाजायज करार दे दिया गया ....

हमलोग सूर्य की पूजा करते हैं तो इन्होने चाँद की पूजा करने की ठान ली .....

हम गाय की पूजा करते हैं तो इन्होने उसकी हत्या करने की ठान ली .....

हमारे धर्म में ब्रह्मचारी होने का विधान है तो इनके मजहब में बचपन से ही सेक्स करने को कहा जाता है ..

हिन्दू धर्म में कभी भी धर्म की वजह से किसी देश पर या कहीं भी हमला नहीं किया जाता तो इनके मजहब में इसी वजह से हमले और हत्या जायज है ..

हिन्दू धर्म में माँ बहन बेटी को पत्नी की दृष्टि से देखना सबसे बड़ा पाप है तो इस्लाम में इनसे निकाह करना जायज बना दिया गया ...

हिन्दू धर्म में राष्ट्रभक्ति सदैव से धार्मिक रूप से सिखाया जाता है पर इस्लाम में ऐसा नहीं है ...इसलिए यहाँ पाकिस्तान टीम के जीतने पर ख़ुशी मानती है.. या उसके झंडे फहराए जाते हैं ... या आतंकियों की मदद की जाती है ...

हिन्दू संत साधू दाढ़ी मूंछ रखते हैं तो इस्लाम में दाढ़ी रखने पर मूंछ मुंडवा देते हैं ...

हमारे धर्म में शाकाहारी होने को सच्चा हिन्दू माना जाता है तो इनके में मांसाहारी होने को ही सच्चा मुसलमान माना जाता है ...

हमलोग मंदिरों को बनाते थे .. तो इन्होने भी लगभग उसी शेप का ढांचा मस्जिद के नाम से तो बनाया लेकिन अल्लाह की मुहम्मद की ... रसूल की ... नबी की मूर्थी सिर्फ इसलिए नहीं डाली की हिन्दुओं जैसे नहीं दिखें और खाली मस्जिद में ही इबादत करते हैं ...

ऐसे सैकड़ों नियम कानून बनाए गए ... और इस सोच के साथ बनाए गए की मुस्लिम हिन्दुओ से ठीक उल्टा बन जाए ताकि इन दोनों में कभी मित्रता होनी संभव हो ही नहीं ... आखिर कितने मुद्दों पर दोनों सुलह करेंगे ... ? ?

चलिए अब तो आई एस आई एस ने ही कह दिया है की बलात्कार जायज है .. अगर वो उस महिला लड़की या बच्ची से हो जो मुस्लिम नहीं है ...

फिर भी वो इस्लाम के आदेश पढ़ लेते हैं जो ऐसा कहता है .....

१. बलात्कार जिहादी का अधिकार है
रसूल ने कहा कि जिहाद में पकड़ी गई औरतों से बलात्कार करना जिहादिओं का अधिकार है .
बुखारी -जिल्द 1 किताब 5 हदीस 282

२. अगर मुसलमान किसी गैर मुस्लिम औरत के साथ बलात्कार करते हैं ,तो इसमे उनका कोई गुनाह नहीं है .यह तो अल्लाह ने उनको अधिकार दिया है ,औ बलात्कार के समय औरत को मार मी सकते हैं”
बुखारी -जिल्द 7 किताब 62 हदीस 132

३. जिहाद में बलात्कार जरूरी है
बुखारी -जिल्द 1 किताब 52 हदीस 220 2

४. “रसूल ने कहा कि ,अगर काफ़िर इस्लाम कबूल नहीं करते ,तो उनको क़त्ल करो ,लूटो ,और उनकी औरतों से बलात्कार करो .और इस तरह इस्लाम को आगे बढ़ाओ और इस्लाम को मजबूत करो.बुखारी -जिल्द 4 किताब 54 हदीस 464


ऐसे ही कई इस्लाम के नियम कानून है जिसे दुनिया का हर मुस्लिम अमल में लाने को बेताब रहता है.. हो सकता है .. इन पर अमल करने के लिए कहीं किसी जगह उनको अभी माहौल नहीं मिला हो... कहीं पर अभी कमज़ोर हो .. और मौके के इंतज़ार में बैठे हो ... और उस मज़बूरी को आप "अच्छा वाला मुसलमान " कह देते हो... तो फिर आप भी इंतज़ार कीजिये...X

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