Wednesday 10 August 2016

मेरे घर में घुसे सांप ने मुझे बेघर किया।

एक बार मेरे कमरे में 5-6 सांप घुस गए। मैं परेशान हो गया, उसकी वजह से मैं कश्मीरी हिंदुओं की तरह अपने ही घर से बेघर होकर बाहर निकल गया। इसी बीच बाकी लोग जमा हो गए।  मैंने पुलिस और सेना को बुला लिया। 
अब मैं खुश था कि थोड़ी देर में सेना इनको मार देगी तभी मेनका गांधी आ गयी, बोली नहीं आप गोली नहीं चला सकते, मैं पेटा के तहत केस कर दूंगी। 

सेना वाले उसको ढेला मारने लगे, सांप भी उधर से मुंह ऊँचा करके जहर फेंकने लगे। एक दो सांप ने तो एक दो सैनिक को काट भी लिया पर भागे नहीं। फिर इतने में कुछ पडोसी मुझे ही बोलने लगे, क्या भाई तुम भी बेचारे सांप पर पड़े हो, रहने दो , क्यों भगा रहे हो ? उधर मोदीजी ने खबर भिजवा दिया, सांप को मुंह में जहर नहीं होना चाहिए, उसके मुंह में दूध दे दो तो वो मुंह से जहर की जगह दूध फेंकेगा। ..... मैं हैरान परेशान... फालतू में बात का बतंगड़ हो चूका था। न्यूज़ भी चलने लगे थे। रविश ने कह दिया कि सबको जहर नजर आता है सांप नजर नहीं आता, उसकी भी जिंदगी है।

इसी बीच एक सैनिक ने पेलेट गन चला दिया और एक सांप ढेर हो गया, मुझे आशा जगी, सेना ही कुछ कर सकती है, तभी गुलाम नबी ने कहा, पेलेट गन क्यों चलाया, सांप को कष्ट हो रहा है, अभी कोई कुछ सोचता तब तक हाइकोर्ट का भी फैसला जाने कहाँ से आ गया कि पेलेट गन नहीं चला सकते सांप पर। उधर आम आदमी पार्टी ने कह दिया कि वहाँ जनमत संग्रह हो कि उस घर में सांप रहेगा या आदमी। सांप को जीने का हक़ है इस पर सब एकमत हो गए थे। 

इतने में जो मेरा पडोसी मेरा घर कब्ज़ा करना चाहता था वो सांप के लिए दूध और छिपकली मेढक लेकर आ गया , उसको खिलाने लगा, उसकी मदद मेनका गांधी, ग़ुलाम नबी ने कर दी और पडोसी को शाबाशी दी। 

मैं निराश होकर अब दूर से सिर्फ देखता था। काश मैंने खुद लाठी लेकर शुरू में ही भुरकस निकाल दिया होता तो आज ये दिन ना देखना पड़ता।।

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