Tuesday 20 October 2015

सन् 2050 में होने वाले जलयुद्ध में भारत के लोग

साल 2050.. दिल्ली का इलाका..
सारा परिवार घर में माथा पकड़कर बैठा है.. 50 करोड़ में फ्लैट लिया था .. सारी सुविधा थी.. बस इधर महीने भर से पीने का पानी नहीं आ रहा.. क्योंकि भूजल स्तर अपने शोषण की वजह से सुख चुकी है.. दिल्ली सरकार ने हाथ खड़े कर दिए हैं.... ये परिवार हर दिन 2000  रुपये का पानी खरीद कर ला रहा है ..और कोई चारा नहीं है ..

दिल्ली ही नहीं पुरे देश में मुम्बई सहित .. यही हाल है .. जितने भी बड़े शहर है सभी जगह.. एक एकबूँद के लिए तरसते लोग भटक रहे हैं ... वो लोग जिन्होंने लाखो करोडो में घर ख़रीदे थे वो घर कौड़ियो के भाव भी कोई खरीदने को तैयार नहीं .. पानी के बगैर कैसा घर ?

शहर में हिंसक आंदोलन चल रहे हैं .. पुलिस की लाठियों से प्यासी जनता घायल हो कराह रही है .. लाखो लोग जिनका खानदानी गाँव में कुछ बचा था वो गाँवों की तरफ पलायन कर गए हैं क्योंकि गाँवों में आज भी भूजल स्तर बचा है पानी आ रहा है ..

लाखों लोगों ने शहर की जमीन फ्लैट औने पौने बेच कर गाँव में जमीन ले ली है .. शहर में काम करने वाले बहुत ही महंगे पानी के बोतल खरीदने को विवश है .. पर नहाना .. भी है खाना भी बनाना है .. इतना खरीदना संभव नहीं .. कई लोग कई कई दिनों पर नहां रहे हैं .. बीमारियां फ़ैल रही है ..

टैंकर देखकर भीषण भीड़ टूट पड़ती है .. मारा मारी चीख पुकार मच जाती है .. गोलियां चल जाती है .. प्रशासन ने इस मामले पर हाथ खिंच लिया है ...किसी को घंटो लगने के बाद भी पानी नहीं मिल पा रहा..... अच्छे घरो की महिलाएं जिन्होंने घर से बाहर कदम नहीं रखा था आज टैंकर के सामने घंटो लड़ाई लड़ने को विवश हैं ..

आबादी .. जी हाँ ये हुआ आबादी बढ़ने से .. जमीन के भीतर पानी एक सीमित मात्रा में है ये सब जानते हैं .. पहले तो लोग बोरिंग की गहराई बढ़वाते गए और अंत में पानी खत्म हो गयी तब होश आया .... नदियां तो बहुत पहले सुख चुकी थी.. जनता को आज समझ आ रहा है कि नदियो का क्या महत्त्व होता है. क्यों हिन्दू नदियो की पूजा करते थे ...

मुसलमानो ने जनसंख्या जिहाद के तहत बच्चे पैदा किये आज वो देश में बहुसंख्यक है .. लेकिन पानी के अभाव में वो भी मर रहे हैं... वो लोग कई ऐसे जगहों पर हमले करके कब्ज़ा कर रहे हैं जहां भूजल स्तर बचा हुआ है .. देश में गृहयुद्ध की स्तिथि है ..

चीन की भी यही हालात है .. पाकिस्तान की भी ऐसी ही स्तिथि है .. तेजी से बढ़ी दुनिया की आबादी, अर्थव्यवस्था की बढ़ी विकास दर, नगरीकरण की तेज हुयी गति, लेकिन जीवन से जुड़ी मूलभूत जरूरतों में आई आनुपातिक कमी, यह वैश्विक चिंता का विषय था.....
मनुष्य के जीवित रहने के लिए जो मूलभूत जरूरतें थी ..उनमें जल सबसे महत्वपूर्ण है. बहुत पहले ही यह आशंका जतायी जा चुकी थी कि 21वीं सदी का युद्ध जल के लिए होगा. यह आशंका सही साबित हो चुकी है ...

तिब्बत के पहाड़ पर मौजूद हिमालयी ग्लेशियर एशिया में डेढ़ अरब से अधिक लोगों को मीठा जल मुहैया कराता था.... इस ग्लेशियर से नौ नदियों को पानी मिलता था... जिनमें गंगा व ब्रह्मपुत्र जैसी नदियां शामिल थी... भारत, पाकिस्तान और बांग्लादेश समेत अफगानिस्तान में बड़े इलाके में इन नदियों से लोगों को पीने का पानी मुहैया कराया जाता था...आज ये ग्लेशियर प्रदुषण की भेंट चढ़ चुके हैं ..

तो ये है 2050 का विश्वयुद्ध याने जल युद्ध ..

(UN  ने 2030 से इस युद्ध के शुरू होने की घोषणा की है जो 2050 तक महायुद्ध में तब्दील हो जाएगा )

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