Friday 9 October 2015

सड़क पर भटकती गौ भी माता है और रहेगी

एक सवाल है.. जो चारों तरफ देख रहा हूँ... और इस सवाल को मुस्लिम से भी ज्यादा हिन्दू ही चेंपते रहते हैं... वो ये कि ...
"अगर गौमाता की इतनी इज्जत करते हो तो सड़क पर भटकने क्यूँ छोड़ देते हो ? अपने घर क्यूँ नहीं ले जाते ?"
पहले तो ये बता दूँ कि सवाल वही पूछते हैं जिसके पास उसका समुचित जवाब ना हो.. याने वो खुद ही अज्ञानी हो ..
मैं एक उदहारण देता हूँ... देश में हज़ारों माँ बाप है जिनको उनके घर से पुत्र निकाल देते हैं .. .या ऐसे लोग हैं जिनका किसी आपदा में सबकुछ तबाह हो जाता है .. .और फिर उनको सडको पर आ जाना पड़ता है .. सड़कों पर भटकते हैं .. . कूड़े से भी कचरा उठा के खाते हैं .... ये तो इंसान की हालत हो जाती है ........ 

सवाल ये है कि क्या इनके सड़क पर भटकने की वजह से इनको भी पकड़ के काट देना चाहिए ... ? क्यूंकि ये एकमात्र तर्क है ... की गौमाता सड़क पर भटकती है इसलिए हम उसको काट क्यूँ नहीं सकते ?? तो फिर सड़क पर भटकने वाले ऐसे बेघर लोगों को भी काटा क्यूँ नहीं जा सकता ? या ऐसा कौन सा कानून या मानवता है कि जो गाय सड़क पर हो उसको काटना चाहिए ??

गौपालन कोई छोटा मोटा कार्य नहीं है .. इसके लिए २४ घंटे एक आदमी घर में लगातार होना चाहिए ... आप कहीं भी छुट्टी में जाएँ तो एक आदमी रख के जाना पड़ता है .. . और खर्च भी काफी होता है.. और एक ऐसी जगह होनी चाहिए जहां आप उसको अच्छे से रख सकें .. ऐसे में कभी कभी गौपालकों की आर्थिक स्तिथि ऐसी हो जाती है कि वो गौमाता का खर्च नहीं उठा पाता और रोते हुए... भीगी पलकों से विदा करता है.. माफ़ी मांगते हुए ... क्यूंकि घर में खूंटे से बाँध कर उसको खाना ना खिलाने से अच्छा है कि कम से कम उसे घूमते फिरते खाना तो मिलेगा .. कुछ पेट में तो जायेगा ... घास फूस पानी जंगल .. सब तो है यहाँ .. किसी गौमाता को इस तरह छोड़ते देखा हैं मैंने ... और ये भी देखा है कि गौपालक रोता है.. पर ये सब दुसरे बुद्धिजीवी क्या जानें ... ??

बड़े शहरों में आप फ्लैट्स में होते हैं जहां गौमाता को रखने की इजाजत ही नहीं है .. क्यूंकि अब जो समाज बन रहा हैं वो मुस्लिम समाज ही तो है ... जहां सिर्फ खुद की चिंता की जाती है .. क्या लोग लिफ्ट से सांतवें माले पर गौमाता को रखेंगे ?? निचे भी रखेंगे तो सोसाइटी वाले रहने देंगे ?? मेट्रो सिटी में वो कहाँ से भूसा आदि लायेंगे ? ये तो एक ऐसी संस्कृति ही बन गयी हैं जिसमें गौमाता के लिए जगह बची ही नहीं ... लेकिन इसका मतलब ये नहीं कि हम गौमाता से नफरत करने लगेंगे ....... कम से कम जहां भी हैं .. जो भी रखते हैं .. उनको मदद करेंगे .. उनके पास जो गायें हैं उसकी रक्षा करेंगे ... ध्येय तो ये भी हो सकता है ना ?? और यही है भी ...

मुझे ऐसे महामूर्ख चपंडूस के बारे में समझ ही नहीं आता जो ऐसे सवाल पूछते हैं .. जो हिन्दू को ही ये पूछ कर गरियाते हैं .. अरे भाई मज़बूरी है.. ऐसे हालात हैं... ऐसी कलयुगी संस्कृति है .. .और ऐसे में भी अगर हम फिर से गौमाता को बचाने के लिए ... आवाज उठा रहे हैं .. तो क्यूँ बुरा लग रहा है तुम्हे ?? सड़क पर है तो क्या तुम काट दोगे? क्यूँ ? ? ऐसा कौन सा लाइसेंस मिल गया तुम्हे ?? मेरे लिए तो सड़क पर है तो भी गौमाता है.. उतनी ही इज्जत है .. मेरी आर्थिक स्तिथि ऐसी नहीं है कि उसको जगह दे सकू या भोजन करवा सकूँ तो क्या मैं उससे नफरत करने लगूंगा ? उसके हत्यारों का समर्थन करने लग जाऊंगा ??

अपना इलाज करवाओ ... ऐसे सवाल पूछने वालों....

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