Saturday 24 October 2015

कानपूर दंगा, हिन्दुओं ने पिलाई चाय और मुस्लिम ने दिया तलवार

कानपूर में दंगा .. झारखण्ड में दंगा .. कन्नौज में दंगा और बिहार में भी दंगा .. देखा जाए तो मुहर्रम में पुरे देश में दंगा .. मुहर्रम ... दंगे फैलाने का एक पर्व ही मान लेना चाहिए ... मुहर्रम की तैय्यारी .. देख कर ही कोई समझ सकता है जैसे ये लोग हिन्दुओं पर मुग़लों के हार जाने का बदला लेने जा रहे हैं ... 

कानपुर में तो हद हो गयी है .. हिन्दुओं ने
माता का जगराता करवाया था .. तो कुछ माता के पोस्टर भी लगवाए थे ... 
अब देखिये हिन्दुओं की महान मुर्खता .. .. जगराता जब हो गया तो इन्होने मुहर्रम के निकले जुलुस को देख कर "मूर्खतापूर्ण दरियादिली" दिखाने के लिए निर्णय लिया कि मुहर्रम में आ रहे लोगों को चाय पानी पिलायेंगे ... और ऐसा किया भी ..

लेकिन मुग़लों के वंशज तो मुग़ल जैसे ही रहेंगे .. उन्होंने उसके बदले में वहाँ माता के लगे पोस्टर को देख कर तलवार से काट कर फाड़ डाला .. पोस्टर नीचे गिरा दिया .. और उसको पैरों से कुचला ... 

जी हाँ .. दुर्गा माता के तस्वीर को पैरों से कुचला .. इसके बाद क्या हो सकता था ?? चाय पाने पिलाने वाले हिन्दुओं का सेकुलरिज्म .. को खुद मुसलमानों ने जूतों तले रौंद दिया .. मुंह पर कालिख मल दिया ...

इसके बाद वहाँ दंगा ही तो होना था. .रात थी तो किसी तरह हंगामा शांत हो गया ... लेकिन सुबह होते ही .. खबर फ़ैल गयी .. और लोग जुटने लगे .. एक तरफ हिन्दू तो दूसरी तरफ मुसलमानों के हथियार जमा होने लगे .. पुलिस आ गई .. .. 3
मुसलमानों के मुग़लों वाली फ़ौज का नेत्रित्व देने उनके नेता बाबर औरंगजेब की तरह आ गए .. झडपें हुए .. फिर मारा मारी.. फिर पत्थरबाजी .. और फिर मुस्लिम के पास हथियारों की कमी तो हैं नहीं पुलिस पर ही गोलियां चलने लगी .. कुछ पुलिस घायल हुए हैं .. हिन्दू भी घायल है .. दंगा जारी है .. अखिलेश यादव किसी मुस्लिम के मरने के इंतज़ार में बैठे हैं .. वरना दंगे का फायदा ही क्या है ...

क्या दिन आ गए हैं हिन्दुओं के .. जिस दुर्गा पूजा में दुर्गा माता की पूजा होती है उसको सरेआम मुस्लिम जूतों तले रौंदते हैं .. तलवार से तस्वीर काटा जाता है .. इसके बाद भी हिन्दू को समझ नहीं आता कि मुस्लिम की नजर में हिन्दू सिर्फ दुश्मन है जिसको काटने के लिए ही वो पैदा हुए हैं .. और पिलाओ दुश्मन को चाय..

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