Friday 30 October 2015

गया शहर को भी तबाह किया था मुस्लिम शासक ने

आज मेरे शहर गयाजी के बारे में कुछ नया पता चला कि इसको भी भारत से बाहर से आये घुसपैठिये मुस्लिम ने तबाह कर दिया था और कैसे राजपूतो ने लड़ाई लड़ी कई मरते गए फिर उसी में राणा सांगा का जन्म हुआ तब जा के मुक्ति मिली ...

1113 ई. में मोहम्मद बख्तियार खिलजी के आक्रमण से गया तबाह हो गया था. असंख्य देवी-देवताओं की मूर्तियों को नष्ट कर दिया गया था. और जो आज के नव बौद्ध दलित और अम्बेडकरवादी है उन सबको भी काफ़िर बोल कर काटा गया ..
बौद्ध भिक्षुओं व धर्मावलंबियों को तिब्बत, नेपाल व दक्षिण भारत की ओर भागना पड़ा. हिंदुओं की पवित्र भूमि गया, मुसलमानों के चंगुल में आ गयी,

अपनी शुद्धता व हिंदू धर्म को बचाये रखने के ख्याल से इन गयावालों ने गया के समीपवर्ती गांवों जैसे कुर्किहार, परोरिया, महाबोधि, दुबहल व कटारी आदि में जाकर बसना शुरू कर दिया. उस विध्वंस काल में गया की आबादी घटने लगी. यात्रियों का आना भी कम होने लगा. यह स्थिति करीब दो-तीन शताब्दी तक कायम रही.उदयपुर के महाराणा लक्षा ने 13वीं शताब्दी में गया की यात्र की. उनसे गया की दुर्दशा देखी नहीं गयी. यहां ऐसा बर्बर अत्याचार हो रहा था।

उन्होंने मुसलमानों के खिलाफ जंग छेड़ दी, किंतु वे सफल न हो सके. वे युद्धभूमि में मुसलमानों के हाथों मारे गये. बाद में उनके पुत्रों व पोतों ने लगातार पांच पीढ़ियों तक यह संघर्ष जारी रखा. राणा लक्षा की छठी पीढ़ी में राणा सांगा का जन्म हुआ, जो आगे चल कर 1509 ई. में उदयपुर के राजा हुए. राणा सांगा ने मुसलमानों का डट कर मुकाबला किया और उनके कब्जे से गया को मुक्त कराया.

मतलब साले मेरे शहर में तभी इतने मुस्लमान है जिनकी दादी की दादी का बलात्कार हुआ और ये लोग बलात्कार से पैदा हुए .. और उसी बलात्कारी के धर्म को मानते हैं ।

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