
मक्का में दाऊद की बेटी की निकाह की खबर नई दिल्ली तक पहुंच चुकी थी. अचानक सारी एजेंसियों के कान खड़े हो गए. राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोवाल बस पांच महीने पहले ही जनवरी 2005 में आईबी यानी खुफिया ब्यूरो के निदेशक पद से रिटायर हुए थे.
निकाह के बाद अब दावत-ए-वलीमा यानी रिसेप्शन की बारी थी. जावेद मियांदाद और दाऊद इब्राहीम वलीमा कराची में ही करना चाहते थे. पर पाकिस्तानी खुफिया एजेंसिय़ों को ये मंजूर नहीं था. उन्हें डर था कि इससे दाऊद की कराची में मौजूदगी का सबूत आम हो जाएगा. लिहाज़ा आखिर में तय हुआ कि वलीमा 23 जुलाई को दुबई के ग्रैंड हयात होटल में होगा. दुबई के ग्रैंड हयात होटल में वलीमा की खबर नई दिल्ली तक भी पहुंच चुकी थी. ऐसा पहली बार था जब भारतीय एजेंसियों को पक्के तौर पर पहले से मालूम चल चुका था कि दाऊद किस तारीख को, किस दिन, कितने बजे कहां होगा. आईबी को पता था कि दाऊद को मारने का इससे बेहतर मौका नहीं मिलेगा. क्योंकि ये तय था कि दाऊद अपनी बेटी के वलीमे में जरूर आएगा.
इसी के बाद आईबी ने दाऊद को दुबई में मारने का प्लान तैयार किया. नई दिल्ली की भी इसमें रज़ामंदी थी. पर नई दिल्ली सीधे तौर पर ऑपरेशन दाऊद से ज़ुड़ना नहीं चाहती थी. लिहाज़ा इसी के बाद तय हुआ कि ऑपरेशन के लिए कमांडो भेजने की बजाए छोटा राजन गैंग के शार्प शूटरों को दुबई भेजा जाए. इस ऑपरेशन का इंचार्ज किसी और को नहीं बल्कि अजित डोवाल को बनाया गया. 1993 के मुंबई ब्लास्ट के बाद छोटा राजन, दाऊद और उसकी डी-कंपनी से अलग हो चुका था. राजन अब खुद को हिंदू डॉन के तौर पर प्रचारित कर दाऊद का सबसे बड़ा दुश्मन बन चुका था. आईबी की नज़र मे दुश्मन का दुश्मन दोस्त था. फिर राजन 2000 में बैंकॉक में खुद पर हुए हमले का भी दाऊद से बदला लेना चाहता था.
प्लानिंग के तहत ऑपरेशन दाऊद के लिए छोटा राजन ने अपने दो सबसे भरोसेमंद शार्पशूटर विक्की मल्होत्रा और फरीद तनाशाह को चुना. ये दोनों पश्चिम बंगाल के 24 परगना इलाके से भारत में दाखिल हुए. भारत आने के बाद इन दोनों को एक खुफिया ठिकाने पर ट्रेनिंग दी गई और दाऊद को मारने की पूरी प्लानिंग बनाई गई. तय हुआ कि दाऊद को 23 जुलाई 2005 को ग्रैंड हयात में ही मारा जाएगा. इसके लिए विक्की मल्होज्ञा और फरीद तानाशाह के फर्जी ट्रेवल डाक्यूमेंट्स तैयार किए गए. साथ ही दुबई की फ्लाइट की टिकट भी बुक करा दी गई. भारतीय खुफिया एजेंसी का ये अब तक का सबसे बड़ा और सबसे अहम ऑपरेशन था. अब तक सब कुछ प्लानिंग के हिसाब से ही चल रहा था. बस अब दोनों शूटरों को दुबई के लिए रवाना किया जाना था. पर तभी मुंबई से एक बुरी खबर आती है.

इधऱ आईबी मुंबई पुलिस की इस कार्रवाई से बेखबर प्लान को अंजाम तक पहुंचाने की आखिरी तैयारी में जुटी थी. एक शाम अजित डोवाल राजन गैंग के दोनों शूटरों को नई दिल्ली के एक होटल में आखिरी ब्रीफिंग दे रहे थे. हेटल ग्रैंड हयात के ब्लू प्रिंट के साथ ये तय हो रहा था कि वौ कौन सी सबसे बेहतर जगह है जहां शूटरों को तैनात किया जाए. मगर तभी उसी वक्त होटल में धनंजय कमलाकर की टीम पहुंच जाती है और विक्की मल्होत्रा और फरीद तानाशाह को गिरफ्तार कर लेती है.

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