Tuesday 27 October 2015

जर्सी गायों का जहर

विदेशी जर्सी गाय में A1 नाम का प्रोटीन तत्व रक्तचाप, मधुमेह, एलर्जी और हाइपरटेंशन जैसी बीमारियां पैदा करता है। जबकि ए2 प्रोटीन इन सारी बीमारियों से रक्षा करता है। हम भारतवासियों के सौभाग्य से देसी गायों की सभी नस्लों में ए2 प्रोटीन पाया जाता है, जबकि जर्सी गाय के दूध में ए1 पाया जाता है। भारत में भी इस पर अलग से शोध हुआ है। त्रिशूर के कालेज आॅफ वेटरनरी एंड एनिमल साइंस के ई़ एम़ मुहम्मद ने डॉ़ स्टीफन मैथ्यू (पशु प्रजनन, आनुवांशिकी और बायो स्टेटिस्टिक्स के प्राध्यापक) के मार्गदर्शन में शोध किया और भारतीय गाय के दूध की उपरोक्त गुणवत्ता की पुष्टि की। उन्होंने बताया कि भारत की देसी गाय के दूध में पाया जाने वाला ए2 प्रोटीन मधुमेह और हृदयरोग के अलावा एथिरोस्क्लेरोसिस, आटिज्म और शिशुओं की अकाल मृत्यु से रक्षा करता है। भारत में प्रचलित हो रहा जर्सी, होल्स्टीन फ्रीजियन और ब्राउन स्विस का दूध ए1 प्रोटीन के कारण स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है।

न्यूजीलैंड की संसद में इस पर व्यापक चर्चा हो चुकी है। ब्रिटेन और आयरलैंड में भारतीय नस्ल की गाय के दूध की मांग बढ़ गयी है। ‘ए2 मिल्क’ के नाम से बाजार में आते ही सालभर में इसकी खपत 10 लाख पौंड तक पहुंच गयी। 2013 में ही ब्रिटेन के1000 बड़े स्टोर ‘ए2 मिल्क’ बेच रहे थे। आस्ट्रेलिया और न्यूजीलैंड में इसकी खपत 57 प्रतिशत प्रतिवर्ष की दर से बढ़ रही है। भारत इस ओर से बेसुध है। तिस पर विडम्बना ये कि दुनिया में बढ़ती भारतीय गायों की मांग की पूर्ति भारत नहीं ब्राजील कर रहा है।

जब भारत में जर्सी विदेशी गायों को बढ़ावा दिया जा रहा था तब ब्राज़ील भारत की गायों को खरीद कर अपने देश ले जा रहा था ... ब्राजील ने भारत से गाय की तीन नस्लों-गिर, कांकरेज और ओंगलो का आयात किया था। आज ब्राजील में ये भारतीय गाय प्रतिदिन 30 से 40 लीटर दूध दे रही है, और ब्राजील भारतीय गायों की शुद्ध नस्ल को बेचकर धन कमा रहा है। भारतीय नस्ल की ऐसी ही 50 गायों को ले कर 307 दिनों तक प्रतिदिन 10,000 लीटर दूध उत्पादन का कीर्तिमान स्थापित किया है।

आज जो जहर से उपजाए चावल दाल खा कर बीमार पड़ रहे हो और मर रहे हो ना वो सब गौमाता की हत्या की वजह से है .. मुस्लिम तो अपने बच्चों के मांस भी खा कर रह सकते हैं .. जब जहरीले कीटनाशक से फसल तैयार होती है तो वो जहर उस चावल दाल के कण कण में समा जाता है .. उसी जहर से उसका पोषण हुआ है ना ..? आप कितने भी महंगे चावल दाल ले आओ उसके अंदर जहरीले तत्व हैं .. जब माँ वही चावल खाती है तो उसके दूध में भी वो जहर मिल जाता है जो फिर बच्चे को पिलाती है .. इससे कैंसर होता है ..

लेकिन जब आप जैविक विधि से उपजाए अनाज खाओगे तो उसमे विटामिन भरे पड़े हैं उसमे स्वाद भी है और ये तैयार होता है सिर्फ गाय की वजह से ..कुछ किसान है जो ऐसा कर रहे हैं और उनके सामने ये रासायनिक खाद वाले फसल भी फेल हो गए हैं .. दोगुने आकार के गेहूं के दाने और 20 फुट ऊंचे गन्ने की फसल से खेत और घर दोनों लहलहा रहे हैं। छोटे किसानों की कमाई 6 से 7 गुना बढ़ी है।
भारत में 19 करोड़ गाय हैं। यदि एक गाय प्रतिदिन औसत10 किलो गोबर देती है तो 19 करोड़ गायों के गोबर से बनायी जा सकने वाली गोबर गैस से भारत की ऊर्जा समस्या हल हो सकती है अथवा नहीं?

शर्मनाक तो ये है कि ब्राजील भारतीय गायो को ले जाकर प्रजनन के द्वारा अपने देश में भारतीय नस्ल की गायो की संख्या बढ़ा रहा है और भारत में हम इसकी हत्या करने के लिए चीखोपुकार मचाये हुए हैं . आज देशी दूध की महत्ता जान्ने के बाद विदेश के लोग भारत सइ भारतीय गाय नहीं खरीद रहे बल्कि ब्राजील से खरीद रहे हैं .. शर्मनाक .. चाउमीन कोकाकोला पर जिन्दा रहने वाले आज के cooldude हिन्दू और राक्षस प्रजाति कौम के लोग ये सब क्या समझेंगे ?

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