Monday 26 October 2015

अनेकता में एकता का झूठा नारा देकर बहलाते हैं नेता

हमारे देश में सारे नेता और पढ़े लिखे मुर्ख एक डायलाग जरूर चिपकाते हैं .. कि "ये देश अलग अलग भाषाओँ वाला .. अनेकता में एकता और विविधताओं वाला देश है "...कल मन की बात में मोदी जी ने भी ये बात कही .. मैं भी बचपन से सुन रहा हूँ ..

कितना बड़ा झूठ.. कितना बड़ा पाखण्ड ...कितना बरगलाने की कोशिश...है ये ? कब हुयी अनेकता में एकता ? कब एक साथ रह पाये दूसरे धर्म के लोग प्रेम से हमारे साथ ?

जब से मुस्लिम ने भारत में कदम रखा तब से लेकर आजतक कब रहा अनेकता में एकता ? एकता ही थी तो पाकिस्तान क्यों ? कश्मीर आसाम बंगाल क्यों ? कल मुहर्रम के दिन एक ही दिन में सैकड़ों दंगे क्या अनेकता में एकता का प्रदर्शन था ? कब तक झूठ बोल कर देश के हिन्दू को मरवायेंगे ये नेता और लेखक ??

जनता दिमाग से खोखली हो चुकी है.. अरे किसी नेता ने मीठी मीठी बात बोल दी तो लगे उस पर दौड़ने .. अरे भाई पहले उसकी बात का पोस्टमार्टम कर .. उसने जो बोला उसका इतिहास देख कर साबित कर.. या वर्तमान ही देख कर कर ले..अब तक हज़ारों दंगे हो चुके हैं .. ८० करोड हिन्दुओं को मुस्लिम मार चुके हैं .. हज़ारों मंदिरों को तोड़ चुके है .. लव जिहाद .. रेप जिहाद .. और ना जाने कितने जिहाद .. क्या ये सब एकता के लिए है ? कुरआन में काफिर को मारने के आदेश एकता के लिए है ? 

अनेकता में एकता ? नौटंकी भरे शब्दों का मायाजाल है ये ..

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