Friday 30 October 2015

प्राचीन भारत की रहस्यमयी "लाल किताब"

हिन्दू धर्म में कुछ ऐसी रहस्यमयी प्राचीन किताबें हैं जिसको अगर आपने पढ़ लिया तो जिंदगी बदल जायेगी .. आपका दिमाग बदल जायेगा .. आप आप नहीं कुछ और हो जायेंगे .. हम ये नहीं जानते कि आप कैसे हो जायेंगे पर हाँ पढ़ने के बाद आपका परिवर्तन अवश्यम्भावि है.. इसमें एक किताब है जिसका नाम है 'लाल किताब'..
भृगु संहिता से कहीं अधिक रहस्यमी ज्ञान है लाल किताब का। आप मानें या न मानें, लेकिन इसे पढ़कर यदि आप इसे समझ गए तो निश्‍चित ही आपका दिमाग पहले जैसा नहीं रहेगा। माना जाता है कि लाल किताब के ज्ञान को सबसे पहले अरुणदेव ने खोजा था जिसे अरुण संहिता कहा जाता है। फिर इस ज्ञान को रावण ने खोजा और इसके बारे में रावण ने लिखा था। फिर यह ज्ञान खो गया, लेकिन यह ज्ञान लोकपरंपराओं में जीवित रहा।

कहते हैं कि आकाश से आकाशवाणी होती थी कि ऐसा करो तो जीवन में खुशहाली होगी। बुरा करोगे तो तुम्हारे लिए सजा तैयार करके रख दी गई है। हमने तुम्हारा सब कुछ अगला-पिछला हिसाब करके रखा है। उक्त तरह की आकाशवाणी को लोग मुखाग्र याद करके पीढ़ी दर पीढ़ी सुनाते थे। इस रहस्यमय विद्या को कुछ लोगों ने लिपिबद्ध कर लिया। जब 1939 को रूपचंद जोशी ने इसे लिखा था तो कहते हैं कि उनके पास हिमाचल से एक प्राचीन पांडुलिपि प्राप्त हुई थी तब उक्त पांडुलिपि का उन्होंने अनुवाद किया था।

लाल किताब ज्योतिष की पारम्परिक प्राचीतम विद्या का ग्रंथ है। उक्त विद्या उत्तरांचल और हिमाचल क्षेत्र से हिमालय के सुदूर इलाके तक फैली थी। बाद में इसका प्रचलन पंजाब से अफगानिस्तान के इलाके तक फैल गया। उक्त विद्या के जानकार लोगों ने इसे पीढ़ी दर पीढ़ी सम्भाल कर रखा था। बाद में अंग्रेजों के काल में इस विद्या के बिखरे सूत्रों को इकट्ठा कर जालंधर निवासी पंडित रूपचंद जोशी ने सन् 1939 को 'लाल किताब के फरमान' नाम से एक किताब प्रकाशित की। इस किताब के कुल 383 पृष्ठ थे। फिर 1941 में अगले-‍पिछले सारे सूत्रों को मिलाते हुए 428 पृष्ठों की किताब प्रकाशित ‍की गई। इस तरह क्रमश: 1942 में 383 पृष्ठ और 1952 में 1171 पृष्ठों का संस्करण प्रकाशित हुआ। 1952 के संस्करण को अंतिम माना जाता है।

किताब के फरमान' नाम से जो भी किताबें बाजार में उपलब्ध हैं उनमें से ज्यादातर ऐसी किताबें हैं जो व्यावसायिक लाभ की दृष्टि से लिखी गई हैं, जिसमें प्रचलित फलित ज्योतिष और लाल किताब के सूत्रों को मिक्स कर दिया गया है जो कि प्राचीन विद्या के साथ किया गया अन्याय ही माना जाएगा। जिस ज्योतिष ने लाल किताब को जैसा समझा उसने वैसा लिखकर उसके उपाय लिख दिए जो कि कितने सही और कितने गलत हैं, यह तो वे ही जानते होंगे।

हालाँकि बाजार में उपलब्ध लाल किताब ज्यादातर नकली है... इसलिए सही अनुवाद के साथ असली मिल जाए तो समझिये काम हो गया ।आपके हाथ बहुत कुछ लग सकता है।

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