Tuesday 20 October 2015

मेरी करुणामयी माँ..

एक मेरी माँ है .. हॉस्पिटल में काम कर कर के रिटायर हो गयी हैं अब .. लेकिन कभी रात में बाकी डॉक्टर और नर्सों की तरह सोती नहीं थी ..ऊन कांटे लेकर स्वेटर नहीं बनाती थी.. मरीज के दर्द को देखकर कभी इग्नोर नहीं करती थी .. मरीज के बुलाने पर कभी उसे गुस्से से झिड़कती नहीं थी... ड्यूटी टाइम खत्म होने की बाद अगर किसी प्रेग्नेंट को दर्द उठ गया तो एक्स्ट्रा 3 घंटे की ड्यूटी करते हुए डिलीवरी के बाद ही अस्पताल छोड़ती थी.. (सरकारी अस्पताल ).....
ये ममता .. स्नेह... दर्द..मैंने स्वास्थ्य सेवा संस्थानों में अपनी माँ के सिवा और कहीं नहीं देखा ..

अगर कोई मरीज फ्रुस्टेशन में जहर खा कर आया हो तो उससे घंटो बात कर समझाना.. जीवन जीने को प्रेरित करना .. ये काम भी करती थी..

कई बूढी सास या बूढी माँ ..जिसे तिरस्कार मिला ....जो सिर्फ चिंता से जान छोड़े जा रही हो उसको समझाया करती ..

कई लोग जो एक्सीडेंट के मारे होते और पुलिस उसको हॉस्पिटल में पटक कर चली जाती उसको उसके परिवार बन कर मदद करती.. उसके घर फोन भी लगाती.. सबको बुलाती...

यही नहीं .. कई लावारिस बच्चे जिनका कोई नहीं होता .. या कई जो एक्सीडेंट में आ जाते .. उसके लिए अपने पैसे से हर दिन बिस्किट और चॉक्लेट ले जाती और बांटती .. ये सब काम उसने जीवनपर्यंत चिकित्सा सेवा में रह कर किया.. उसने सिर्फ फॉर्मेलिटी नहीं निभायी दुसरो की तरह .. इंसानियत भी निभायी ..

मरीज को मेरी माँ के ड्यूटी ऑवर का इंतज़ार रहा करता था .. बेड पर लेटे बीमार बच्चे मेरी माँ की राह तकते थे ... यही नहीं अस्पताल के 4th grade कर्मचारी को भी माँ ने कभी यूँही 100 - 200 रुपये दे दिए या फिर मेरे पहने हुए कपडे .. या नए कपडे.. पुरे अस्पताल में माँ का सम्मान माँ के पोस्ट से नहीं थी .. उसके व्यवहार से था....

हाँ एक बात बराबर होती थी बहुत ही रोचक है ..
जिस दिन मरीज का नाम कटता था .. हॉस्पिटल से छुट्टी होती थी तो... मरीज मेरी माँ के चरण स्पर्श करते थे और बगल में खड़े डॉक्टर को धन्यवाद भी नहीं बोलते थे .. इससे मेरी माँ को बहुत शर्मिंदगी जैसी लगती थी और उसको डांट लगा देती थी.. वो तो डॉक्टर से छोटी पोस्ट पर थी ...

खैर दोस्तों आज सोचा अपनी माँ के बारे में बताऊँ जिसने सरकारी सेवा को भी अपनी दया भावना से महान सेवा में बदल दिया .. पर ऐसा नहीं है कि इससे किसी दूसरे कर्मचारी को प्रेरणा मिली हो .. .. ऐसी भावना किसी में नहीं है ..

क्या सरकार को इस तरह के कर्मचारी को अलग से सम्मान नहीं देना चाहिए था..? माँ को इसकी चाहत नहीं पर मुझे ऐसा लगता है ..

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