Saturday 31 October 2015

पढ़िए अगर आपकी रूचि है अंडरवर्ल्ड और बॉलीवुड में

आराम से से समय निकाल कर पढ़िए अगर अंडरवर्ल्ड और बॉलीवुड में रूचि है तो ..
*****1983 में नजीम रोजी-रोटी की तलाश में मुम्बई आया था। उसे एक कला निर्देशक के सहायक के रूप में काम मिला। बाद में उसे निर्माता बनने का भूत सवार हुआ। उसने कम बजट की फिल्मों जैसे "मजबूर लड़की', "आपातकाल' और "अंगारवादी' का निर्माण किया। उसका नाम सुर्खियों में तब आया जब उसने मुम्बई पुलिस और मीडिया को बताया कि उसकी फिल्म "अंगारवादी' को दाउद ने प्रतिबंधित कर दिया है। कश्मीर पर बनी इस फिल्म में मस्जिद और मंदिर के कुछ आपत्तिजनक दृश्य थे। उन दिनों दाउद के भाई अनीस और सिपहसालार अबू सलेम ने नजीम को जान से मारने की धमकियां दी थीं। नजीम ने इसकी रपट पुलिस में भी दर्ज कराई थी। उस समय नजीम को न सिर्फ पुलिस सुरक्षा प्रदान की गई थी, बल्कि उसके फोन भी टेप किए गए थे। आखिर में नजीम ने आपत्तिजनक दृश्य काट कर फिल्म प्रदर्शित की। लेकिन उसकी फिल्म "बाक्स आफिस' पर कमाल नहीं दिखा सकी।

कहा जाता है कि इसके बाद ही वह दाउद के सम्पर्क में आया। बड़ी फिल्म बनाने के लिए उसे धन का आश्वासन मिला। उससे कलाकारों के बारे में पूछा गया। उसने अपनी पसंद के पहले कलाकार के रूप में सलमान खान का नाम बताया। हालांकि सलमान ने उसकी फिल्म "अंगारवादी' में काम करने से इनकार कर दिया था, इसलिए नजीम सलमान को अपनी ताकत का एहसास कराना चाहता था। तब दाउद के सिपहसालार छोटा शकील ने सलमान को धमकाया, जिसके बाद सलमान ने उसकी फिल्म "चोरी-चोरी, चुपके-चुपके' में काम करना स्वीकार किया। कहा तो यह भी जाता है कि "दिल से' में प्रीति जिंटा के काम को देखकर छोटा शकील उससे बहुत प्रभावित था। छोटा शकील ने अपनी पसंद की नायिका प्रीति को इस फिल्म में काम करने के लिए मजबूर किया। रानी मुखर्जी और निर्देशक अब्बास-मस्तान से कम पैसे में काम करने लिए कहा गया था। सलमान शूटिंग करने में जब आनाकानी करने लगा तो उसे फिर धमकाया गया। कहा जाता है कि सलमान ने छोटा शकील को संकेत दिया था कि नूरा उसे जानता है। मगर उसकी एक न सुनी गई। मुम्बई बम काण्ड के दौरान जब कलाकारों से पूछताछ हुई थी तब सलमान के नूरा से जान पहचान की बात उजागर हुई थी। सलमान और नूरा के छायाचित्र पुलिस के पास हैं। नूरा ने सलमान द्वारा अभिनीत फिल्म "पत्थर के फूल' में गाने लिखे थे। उसी दौरान दोनों की दोस्ती हुई थी, ऐसा बताया जाता है।

नजीम ने "चोरी-चोरी, चुपके-चुपके' बनाने के बाद डेविड धवन और ऋतिक रोशन या शाहरुख खान को लेकर फिल्म बनाने की योजना बनाई। जब उन तीनों ने उसकी फिल्म में काम करने से मना किया तब उसने इन तीनों को छोटा शकील से धमकियां दिलवाईं। इसी फिल्म में संगीत देने के लिए जतिन-ललित को भी नजीम ने धमकाया था। उसने अजय देवगन को भी धमकाया था कि वह अपनी फिल्म "राजू चाचा' का प्रदर्शन एक सप्ताह आगे बढ़ा दे, क्योंकि उसी दिन "चोरी-चोरी, चुपके-चुपके' भी प्रदर्शित होने वाली थी। पहले तो उन्होंने मना कर दिया था। मगर बाद में उन्होंने "राजू चाचा' का प्रदर्शन 29 दिसम्बर को करने का फैसला किया। छोटा शकील के लिए नजीम हफ्ते भी वसूलता रहा है। इसके लिए इनाम में छोटा शकील ने उसे वर्सोवा के "समीर कोपरेटिव हाउसिंग सोसायटी' और "लोखंडवाला कांप्लेक्स' में फ्लैट खरीद कर दिया।

माफिया का राज "बालीवुड' में लगभग तीन दशक से है। माफिया ने लगभग दो दशक पहले फिल्म वालों के अपहरण का खेल खेलना शुरू कर दिया था। फिल्म उद्योग के सूत्र बताते हैं कि सबसे पहले फिल्मकार मुशीर रियाज का अपहरण किया गया था। उनका अपहरण अमीरजादा और आलम शेख ने किया था। मुशीर को उसके चंगुल से छुड़ाने में एक सुप्रसिद्ध अभिनेता ने मदद की थी। इस अपहरण का खेल तो वहीं थम गया। मगर गोलियों का निशाना बनाकर डराने का नया खेल शुरू हुआ। कहते हैं कि निर्माता जावेद रियाज को दाउद के गुंडों ने अपनी गोलियों का निशाना इसलिए बनाया था क्योंकि उसने उसके पैसे लौटाए नहीं थे। दाउद के पैसों से फिल्में बनाने वालों में निर्माता मुकेश दुग्गल का भी नाम है। "प्लेटफार्म' और "दिल का क्या कसूर' जैसी कई फिल्में बनाने के बाद पैसे नहीं लौटाने की वजह से ही उसे दाउद के गुंडों की गोलियों का निशाना बनाना पड़ा।

मुम्बई बम काण्ड के बाद कई निर्माता कंगाल भी हो गए। बांद्रा के "मटका किंग' ने अजय देवगन और मधु को लेकर अपनी पहली फिल्म बनाई थी। उस फिल्म ने "बाक्स आफिस' पर तहलका मचाया था। लेकिन वह निर्माता अब फिल्म व्यवसाय से दूर है। एक ऐसा भी निर्माता है, जो पहले गोदी में हमाल (भारवाहक) का काम करता था। उसने भी माधुरी दीक्षित, संजय दत्त और सलमान खान को लेकर फिल्म बनाई थी। कहा जाता है कि उसकी दूसरी फिल्म में गोविंदा नायक थे। जब उन्होंने फिल्मांकन के लिए तारीखें देने में नखरे दिखाए तो निर्माता ने उन्हें सहार हवाई अड्डे से उठवा लिया था। आज वह निर्माता फिल्म बनाने की स्थिति में नहीं है। हालांकि उस निर्माता ने हमेशा कहा है कि उसका "अंडरवल्र्ड' से कोई रिश्ता नहीं है। यह सच है कि मुम्बई बम काण्ड के बाद दाउद की दुकान "बालीवुड' में उजड़ गई। इससे उसे यहां काला धन सफेद करने का मौका नहीं मिलता था। मगर उसने हफ्ता वसूली का खेल शुरू किया। इसमें कम सफलता मिलने पर गोलियों का सहारा लिया। व्यावसायिक लड़ाई का लाभ् उठाते हुए "टी सीरिज' के स्वामी गुलशन कुमार को गोलियों से उड़ा दिया। इसमें दाउद ने कथित रूप से "टिप्स म्यूजिक कम्पनी' के मालिक रमेश तौरानी और संगीतकार नदीम का सहयोग लिया। नदीम लंदन भाग कर कानूनी लड़ाई अब भी लड़ रहा है।

भले ही "अंडरवल्र्ड' का काला साया "बालीवुड' पर हो। लेकिन कुछ फिल्म वाले हैं जो इस दुविधा को महिमामंडित करने से नहीं चूकते। यह जरूरी नहीं है कि इन फिल्म निर्माताओं का सम्बंध "अंडरवल्र्ड' से हो। मगर ऐसी फिल्मों से निर्माता पैसे कमाते हैं। इन फिल्मों से "अंडरवल्र्ड' को सहायता मिलती है और माफिया के दादा खुश रहते हैं। "अंडरवल्र्ड' में रामगोपाल वर्मा की "सत्या' सबसे ज्यादा पसंद की गई। इस फिल्म का फिल्मांकन अरुण गवली के अड्डे अग्रीपाड़ा में किया गया था। इसके लिए गवली ने निर्माता की मदद की थी। इससे पहले "नामचीन' फिल्म की भी शूटिंग छोटा राजन के चेंबूर स्थित घर और ओडियन सिनेमा, जहां कभी वह टिकट ब्लैक करता था, के पास की गई थी। इन फिल्मों के अलावा "अंडरवल्र्ड' पर भी महत्वपूर्ण फिल्में बनी हैं इनमें प्रमुख हैं- "वास्तव', "अंगार', "हथियार', "परिंदा' और "गैंग'। "अंडरवल्र्ड' के डान अपने "डमी' निर्माता के सहारे फिल्मों में काला धन लगाते हैं। सलमान खान और रवीना टंडन की जोड़ी वाली फिल्म "पत्थर के फूल' में दाउद के भाई नूरा ने गाने लिखे थे। फिल्म की नाम-सूची ("क्रेडिट्स') में उसका नाम भी था। नूरा का नाम दीपक बैरी की फिल्म से भी जुड़ा हुआ है। 1991 में बनी एक फिल्म में छोटा शकील का नाम बतौर सह निर्माता था। इसके बाद भी फिल्म वाले इस बात से इनकार करें कि "बालीवुड' में "अंडरवल्र्ड' का पैसा नहीं लगता है तो गलत है। पिछले साल की सफल फिल्म "वास्तव' भी माफिया डान छोटा राजन की फिल्म मानी जाती है। पहले इस फिल्म में बतौर निर्माता एन. कुमार, जो एक पूंजी निवेशक भी हैं, का नाम था। मगर जब फिल्म को पुरस्कार मिले तो असली निर्माता के रूप में छोटा राजन के भाई दीपक निखालजे मंच पर आए थे। इस समय वह संजय दत्त और महेश मांजरेकर को लेकर फिर से फिल्म बनाने की तैयारी में जुटे हैं। "गेम' फिल्म के निर्माता रमेश शर्मा का भी नाम "अंडरवल्र्ड' से जोड़ा जाता रहा है। इस समय वह पूर्व विश्व सुन्दरी युक्ता मुखी को लेकर "प्यासा' फिल्म बना रहे हैं। हाजी मस्तान मनु नारंग के साथ फिल्में बनाते थे। हाजी मस्तान ने राज कपूर को भी धन उपलब्ध कराया था।

कुछ फिल्म पूंजी निवेशकों के सम्बंध भी "अंडरवल्र्ड' से बताए जाते हैं। पूंजी निवेशकों एन. कुमार का सम्बंध दीपक निखालजे से था। "अंडरवल्र्ड' के बढ़ते दबाव के कारण ही नामी पूंजी निवेशक दिनेश गांधी ने "बालीवुड' से खुद को अलग कर लिया। मगर भरत शाह सबसे बड़े पूंजी निवेशक के रूप में उभरे। इस उद्योग में पूंजी निवेशक लगभग 500 करोड़ रुपए वार्षिक निवेश करते हैं। इनमें सबसे ज्यादा निवेश भरत शाह का होता है। हिन्दुस्तान की कसम (15 करोड़), चाइना गेट (15 करोड़), मस्त (5 करोड़), मिशन कश्मीर (15 करोड़), मोहब्बतें (20 करोड़), परदेस, और प्यार हो गया, गुप्त, बार्डर (15 करोड़), स्निप (2 करोड़) में भरत शाह की पूंजी लगी है। इसके अलावा आने वाली फिल्मों में लज्जा (12 करोड़), कसूर (4 करोड़), राजू चाचा (20 करोड़), चोरी-चोरी, चुपके-चुपके (13 करोड़), हम पंछी एक डाल के (10 करोड़) और देवदास (11 करोड़) में भी भरत शाह की ही पूंजी लगी हुई है। भरत शाह के अलावा जिन निवेशकों की पूंजी लगती है उनमें गिरधर हिन्दुजा, झामू सुगंध, स्टर्लिन फायनेंस कम्पनी, सुशील गुप्ता और एन. कुमार हैं। सुशील गुप्ता सलमान खान की कम्पनी "जी.एस. एंटरटेंमेंट कम्पनी' को भी धन देते हैं।

मुम्बई पुलिस की नजर नजीम के अलावा कुछ और निर्माताओं पर भी लगी है। पुलिस को संदेह है कि उन निर्माताओं की फिल्मों में भी माफिया के पैसे लगे हैं। ऐसे निर्माताओं में अफजल खान (महबूबा) का भी नाम है। पुलिस का मानना है कि इसमें अबू सलेम का पैसा लगा है। इनके अलावा बाबी आनंद ("बुलंदी'-अनिल कपूर, रवीना टंडन), धीरज शाह ("जोड़ी नम्बर वन'-संजय दत्त, मोनिका बेदी, Ïट्वकल के नाम भी हैं)। इनकी फिल्मों में पैसे कहां से लगे इसकी जांच आयकर विभाग कर रहा है। कहा जाता है कि इन दिनों अबू सलेम और छोटा शकील अभिनेत्री मोनिका बेदी को फिल्मों में लेने के लिए निर्माताओं पर दबाव डाल रहा है। इस दबाव में ही राजीव राय ने अपनी फिल्म "इश्क, प्यार और मोहब्बत' में और धीरज शाह ने "जोड़ी नम्बर वन' में मोनिका को महत्वपूर्ण भूमिका दी है। हालांकि मोनिका ने कहा है कि "अगर उन्हें माफिया के डर से फिल्मों में काम दिया जाता तो उनके पास दर्जनों फिल्में होतीं। उनके बारे में लोग गलत अफवाह उड़ा रहे हैं।'

माफिया ने गोलियों से डराने का धंधा बंद नहीं किया है। "मोहरा' के निर्माता राजीव राय, ऋतिक रोशन के पिता राकेश रोशन और "एडलैब' के मालिक मनमोहन शेट्टी को जान से मारने की कोशिश की गई। मगर इसमें दाउद के गुंडों को सफलता नहीं मिली। धमकियां देने का काम तो अब भी जारी है। "मोहब्बतें' के निर्माता यश चोपड़ा, "मिशन कश्मीर' के निर्माता-निर्देशक विधु विनोद चोपड़ा और "देवदास' के निर्माता-निर्देशक संजय लीला भंसाली को भी धमकियां दी जा रही हैं। इन फिल्मकारों ने पुलिस में छोटा शकील के खिलाफ शिकायत दर्ज कराई है। इसलिए पुलिस ने इनकी सुरक्षा बढ़ा दी है। "बालीवुड' के वे फिल्म वाले दहशत में हैं, जो ईमानदारी के पैसे से फिल्में बना रहे हैं और माफिया के पैसे का उपयोग करने से कोसों दूर रहते हैं। लेकिन "अंडरवल्र्ड' और "बालीवुड' के रिश्ते टूटने वाले नहीं हैं, क्योंकि सरकार और पुलिस कमजोर है। पुलिस और आयकर विभाग वालों के अलावा राज्य सरकार की सहायता के लिए फिल्म वालों को मंचों पर मुफ्त में नाचना पड़ता है। पुलिस द्वारा कभी-कभी नजीम जैसे छोटे मोहरे को कब्जे में करके एक हंगामा खड़ा करने की कोशिश की जाती रही हैं। ऐसा लगता है कि इस बार भी ये सारी कोशिशें महज एक हंगामा ही साबित होने वाली हैं।
(पुराना लेख एक पत्रिका से)

No comments:

Post a Comment